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五律《山居》 |
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发表于 2015-8-1 21:11
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发表于 2015-8-2 06:04
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发表于 2015-8-2 22:04
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发表于 2015-8-3 00:15
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独伫天涯唱晚歌,满腔豪气尽蹉磨。蒹葭舞动作微哦。 犹思倩谁除怨苦,还需待我了烦疴。悠悠桂月照娑婆。
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发表于 2015-8-3 13:18
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发表于 2015-8-3 13:20
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发表于 2015-8-3 16:20
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发表于 2015-8-3 16:22
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GMT+8, 2024-5-12 14:20
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