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山花子 |
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发表于 2022-5-12 15:08
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自 题 联:
玉泉石濯,续音潇洒江湖客; 林樾莺啼,叶韵矜持野叟吟。 |
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发表于 2022-5-12 15:08
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自 题 联:
玉泉石濯,续音潇洒江湖客; 林樾莺啼,叶韵矜持野叟吟。 |
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发表于 2022-5-12 15:40
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发表于 2022-5-13 10:26
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发表于 2022-5-13 15:28
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发表于 2022-5-13 15:29
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发表于 2022-5-14 19:03
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发表于 2022-5-14 19:04
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发表于 2022-5-14 19:04
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GMT+8, 2024-4-27 09:27
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